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हरितालिका तीज, हिन्दू धर्म के पर्वों में से एक है जो महिलाओं के लिए विशेष महत्वपूर्ण है। यह विशेष रूप से उत्तर भारत में उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड और चत्तीसगढ़ राज्यों में मनाया जाता है।
यह त्योहार भगवान शिव और पार्वती की कथा से जुड़ा हुआ है। कहते हैं कि भगवान शिव की पत्नी सती ने अपनी इच्छा से ही भगवान शिव को पाया था, लेकिन उनके माता-पिता के घर न जाने की वजह से वे दुःखी थे। इस पर उनकी मित्रिण ने उन्हें सुझाया कि वह एक विशेष तरह के व्रत का पालन करें, जिसे हरितालिका तीज कहते हैं। इस व्रत के माध्यम से पार्वती ने भगवान शिव को प्राप्त किया था और उनका विवाह हुआ था।
यह तीज पूरे व्रत के रूप में बजार में आता है, जिसमें विभिन्न प्रकार की मिठाइयाँ, फल, फूल, और वस्त्रों की वस्तुएँ बाजारों में बिकती हैं।
इस दिन विशेष रूप से महिलाएं व्रत रखती हैं और भगवान शिव और पार्वती की पूजा करती हैं। वे भगवान शिव और पार्वती की खुशी-खुशी विवाह की कथा को सुनती हैं और उनकी कथा के अनुयायियों को आशीर्वाद देती हैं।
साथ ही, इस दिन कई स्थानों पर परिवारों और दोस्तों के बीच मिलन समारोह भी आयोजित किए जाते हैं जिनमें सांगीतिक कार्यक्रम और खानपीन की व्यवस्था होती है।
यह तीज का उत्सव समाज में नारी शक्ति की महत्वपूर्ण भूमिका को उजागर करता है और समाज में एकता और समरसता की भावना को बढ़ाता है।
हरितालिका तीज का कथा
हरितालिका तीज का कथा हिंदू परंपरा में एक महत्वपूर्ण कथा है जो भगवान शिव और पार्वती के विवाह से जुड़ी है। यह कथा विभिन्न रूपों में प्रसिद्ध है, लेकिन एक सामान्य संस्कृति के अनुसार निम्नलिखित रूप में है:
कथा के अनुसार, एक समय की बात है, भगवान शिव ने अपनी आज्ञा से अपने भक्त पराशर ऋषि को विशेष व्रत करने को कहा। ऋषि पराशर ने व्रत के रूप में हरितालिका तीज व्रत श्रद्धा भाव से माना और इसे पार्वती माता की कृपा और आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए आचरण किया।
कथा के अनुसार, पार्वती ने अपनी सखियों के साथ सहमति देते हुए गुप्त रूप से व्रत आचरण किया और तनिक की छवि को बनाकर शिवजी को प्राप्त किया। उनका विवाह भगवान शिव से हुआ और तब से यह व्रत और उत्सव हरितालिका तीज के रूप में मनाया जाने लगा।
इस दिन महिलाएं विशेष भक्ति भाव से पार्वती और शिव की पूजा करती हैं और व्रत का आचरण करती हैं। वे उनकी खुशी-खुशी विवाह की कथा को सुनती हैं और उनके आशीर्वाद का आशीर्वाद लेती हैं।
इस रीति-रिवाज, परंपरा और भक्ति के साथ मनाने का यह पर्व महिलाओं के लिए विशेष महत्व रखता है और साथ ही परिवारों में एकता और समरसता की भावना को बढ़ाता है।
हरितालिका तीज का मुहूर्त
इस वर्ष हरितालिका तीज का मुहूर्त सितम्बर १८ को सुबह 6:07 AM से 8 :34 AM तक होगा | तृतीया तिथि 17 सितम्बर को 11 :08 PM से 18 सितम्बर 12 :39 PM तक रहेगी |
हरितालिका तीज के दिन की पूजा
हरितालिका तीज के दिन की पूजा को विशेष भक्ति और श्रद्धा भाव से करना चाहिए। यहाँ कुछ आम विधियाँ दी जा रही हैं जो हरितालिका तीज की पूजा करते समय अपनाई जा सकती हैं:
साफ-सुथरा रखावट: पूजा करने से पहले पूजा स्थल को अच्छे से सजाकर रखें।
स्थापना: एक छोटे चौक या थाली पर वस्त्र, फूल, आकाशता, रोली, चावल, फल, मिठाई आदि रखें। फिर भगवान शिव और पार्वती की मूर्तियाँ या फोटो रखें।
कलश स्थापना: एक कलश में पानी भरकर उसके मुख पर गोली चढ़ाकर उसे ढक दें। इस कलश को एक उच्च स्थान पर स्थापित करें।
व्रत कथा सुनाई: भगवान शिव और पार्वती की विवाह कथा को सुनें। आरती उतारन: भगवान शिव और पार्वती की आरती उतारें।
यह कुछ आम विधियाँ हैं, लेकिन पूजा की विशेष विधि स्थानीय आदतों और परंपराओं के आधार पर भिन्न हो सकती है। आपको यदि संभावना हो, तो एक ब्राह्मण या धार्मिक विद्वान से सलाह लेना भी उपयुक्त हो सकता है।
English Conversion
Haritalika Teej is one of the festivals of Hindu religion which is especially important for women. It is especially celebrated in North India in the states of Uttarakhand, Himachal Pradesh, Rajasthan, Uttar Pradesh, Bihar, Jharkhand and Chhattisgarh.
This festival is linked to the story of Lord Shiva and Parvati. It is said that Lord Shiva's wife Sati had found Lord Shiva with her own wish, but she was sad because her parents did not go home. On this his friend suggested him to observe a special kind of fast, which is called Haritalika Teej. Through this fast, Parvati attained Lord Shiva and was married.
This Teej comes in the market as a whole fast, in which various types of sweets, fruits, flowers, and clothing items are sold in the markets.
On this day especially women observe fast and worship Lord Shiva and Parvati. She listens to the story of the happy marriage of Lord Shiva and Parvati and blesses the followers of her story.
Also, on this day, gatherings among families and friends are also organized at many places in which musical programs and food arrangements are made.
This celebration of Teej highlights the important role of women power in the society and increases the feeling of unity and harmony in the society.
Story of Haritalika Teej
The story of Haritalika Teej is an important story in the Hindu tradition which is related to the marriage of Lord Shiva and Parvati. This tale is famous in various forms, but a common one according to culture is in the following form:
According to the story, once upon a time, Lord Shiva, by his order, asked his devotee Parashar Rishi to observe a special fast. Rishi Parashar observed Haritalika Teej fast as a fast with devotion and observed it to get the blessings and blessings of Goddess Parvati.
According to the story, Parvati, in agreement with her friends, observed the fast secretly and attained Shiva by creating the image of Tanika. She was married to Lord Shiva and since then this fast and festival started being celebrated as Haritalika Teej.
On this day, women worship Parvati and Shiva with special devotion and observe fast. She happily listens to the story of their happy marriage and seeks their blessings.
Celebrated with this custom, tradition and devotion, this festival holds special significance for women and also increases the feeling of unity and harmony in families.
Auspicious time of Haritalika Teej
This year the Muhurta of Haritalika Teej will be on September 18 from 6:07 AM to 8:34 AM. Tritiya Tithi will be from 11:08 PM on 17th September to 12:39 PM on 18th September.
Worship on the day of Haritalika Teej
The worship on the day of Haritalika Teej should be done with special devotion and reverence. Here are some common methods that can be followed while worshiping Haritalika Teej:
Neat maintenance: Before performing puja, keep the puja place well decorated.
Establishment: Place clothes, flowers, Akashta, Roli, rice, fruits, sweets etc. on a small square or plate. Then place the idols or photos of Lord Shiva and Parvati.
Kalash Sthapana: Fill a Kalash with water, put a tablet on its face and cover it. Install this Kalash at a high place.
Narrated Vrat Katha: Listen to the marriage story of Lord Shiva and Parvati.
Aarti Utran: Perform Aarti of Lord Shiva and Parvati.
Worship: Worship the idols of Lord Shiva and Parvati with water, flowers, rice, Akshata, Roli, initially or continuously.
Food of fasting women: Prepare special type of fasting food and feed it to the fasting women. This food is ideal for the happiness of formless and formless Lord Shiva and Parvati.
Udhaaran of the fast: With meditation, devotion and reverence, observe the fast to Lord Shiva and Parvati and pray for their blessings.
These are some common methods, but the specific method of worship may vary depending on local habits and traditions. If possible, it may also be appropriate to seek advice from a Brahmin or religious scholar.
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